पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९६४

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नवनवतितमोऽध्यायः विदूरथसुतश्चापि सार्वभौम इति श्रुतिः | सार्वभौमाज्जयत्सेन आराधिस्तस्य चाऽऽत्मजः आराधितो महासत्त्व अयुतायुस्ततः स्मृतः । अनोधनोऽयुतायोस्तु तस्माद्देवातिथिः स्मृतः देवातिथेस्तु दायाद ऋक्ष एव बभूव ह | भीमसेनस्तथा ऋक्षाद्दिलीपस्तस्य चाऽऽत्मजः दिलीपसूनुः प्रतिपस्तस्य पुत्रास्त्रयः स्मृताः । देवापिः शंतनुश्चैव वाह्लीकश्चैव ते त्रयः वाह्लीकस्य तु विज्ञेयः सप्तवाह्लीश्वरो नृपः | वाह्लोकस्य सुतश्चैव सोमदत्तो महायशाः ॥ जज्ञिरे सोमदत्तात्त भूरिर्भूरिश्रवाः शलः दैवापिस्तु प्रवन्नाजे वनं धर्मपरीप्सया | उपाध्यायस्तु देवानां देवापिरभवन्मुनिः च्यवनोऽस्य हि पुत्रस्तु इष्टकश्च महात्मनः | शंतनुस्त्वभवद्राजा विद्वान्वै स महाभिषः इमं चोदाहरन्त्यत्र श्लोकं प्रति महाभिषम् । यं यं राजा स्पृशति वँ जीर्णं समयतो नरम् पुनर्युवा स भवति तस्मात्ते शंतनुं विदुः । ततोऽस्य शंतनुत्वं वै प्रजास्विह परिश्रुतम् ॥ स तूपयेमे धर्मात्मा शंतनुर्जाह्नवीं नृपः तस्यां देवव्रतं भीष्मं पुत्रं सोऽजनयत्प्रभुः । स च भोष्म इति ख्यातः पाण्डवानां पितामहः ॥२३१ ॥२३२ ॥२३३ ॥२३४ ॥२३५ ॥२३६ ॥२३७ ॥२३८ ॥२३६ ॥२४० सार्वभौम से जयत्सेन की उत्पति हुई, जयत्सेन का पुत्र आराधि हुमा । आराधि से महासत्व की उत्पत्ति हुई, महासत्त्व से अयुतायु ने जन्म धारण किया । अयुतायु का पुत्र राजा अंक्रोधन हुआ, उससे राजा देवा तिथि की उत्पत्ति सुनी जाती है | २३०-२३२| देवातिथि का उत्तराधिकारी राजा ऋक्ष हुआ। ऋक्ष से भीमसेन का जन्म हुआ, उस भीमसेन का पुत्र राजा दिलीप था | दिलीप का पुत्र प्रतिप था, उसके तीन पुत्र कहे जाते हैं। उनके नाम हैं, देवापि, शन्तनु और वाह्लीक | वाह्नीक का पुत्र राजा सप्तवाह्लीश्वर को जानना चाहिये, यह महान् यशस्वी सोमदत्त वाह्लोक का पुत्र था । सोमदत्त से भूरि, भूरिश्रवा और शल नामक पुत्रों की उत्पत्ति हुई | २३३-२३५॥ देवापि धर्मतत्त्व के अनुसंधान के लिये वन को चला गया था। वहाँ जाकर वह मुनिवेश धारण कर देवताओं का उपाध्याय हुआ । महात्मा देवापि के च्यवन और इष्टक नामक पुत्र हुए, शन्तनु परम विद्वान् एवं महाभिष ( बहुत बड़े वैद्य) थे, वही राजा हुए। भिषक् शन्तनु के सम्बन्ध में लोग एक श्लोक कहा करते हैं, उसका आशय इस प्रकार है, कि जिस-जिस वृद्ध मनुष्य का वह राजा स्पर्श करता था, वह पुनः युवा हो जाता था, इसी कारण से उसका नाम शन्तनु कहा जाता है। सर्व साधारण प्रजा में वह शन्तनु नाम से ही विख्यात था उस परम धर्मात्मा राजा शस्तनु ने जाह्नवी के साथ विवाह किया था ।२३६-२३९। परम ऐश्वर्यशाली शन्तनु ने जाह्नवी में देवव्रत नामक पुत्र उत्पन्न किया, वह देवव्रत भीष्म नाम से विख्यात हुए, समस्त पाण्डवों के वे पितामह थे । उसी समय राजा शन्तनु की दूसरी पत्नी दासेयी ने