पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/६२६

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

नवर्षाष्टितमोऽध्यायः गन्धर्वाणां दुहितरो मया याः परिकीर्तिताः । (* तासां नामानि सर्वासां कोत्यंमानानि मे शृणु सुयशा प्रथमा तासां गान्धर्वो तदनन्तरम् । विद्यावती चारुमुखी सुसुखी च वरानना) तत्रेमे सुयशापुत्रा महाबलपराक्रमाः । प्रचेतसः सुता यक्षास्तेषां नामानि मे शृणु कम्बलो हरिकेशश्च कंपिलः काञ्चनस्तथा । मेघमाली तु यक्षाणां गण एष उदाहृतः सुयशाया दुहितरश्चतस्त्रोऽप्सरसः स्मृताः | तासां नामानि वै सम्यग्बुदतो मे निबोधत लोहेयो त्वभवज्ज्येष्ठा भरता तदनन्तरम् । कृशाङ्गी च विशाला च रूपेणाप्रतिमा तथा ताभ्योऽपरे यक्षगणाश्चत्वारः परिकीर्तिताः । उत्पादिता विशालन विक्रान्तेन महात्मना लोहेया भरतेयाश्चं कृशाङ्ग याच विश्रुताः । विशालेयाश्च यक्षाणां पुराणे प्रथिता गणाः इत्येतैरसुरैर्धोरैर्महाबलपराक्रमैः । नैकर्यक्षगणैर्व्याप्ता लोका लोकविदां वराः गन्धर्वाश्चायवाले विकान्तेन महात्मना । उत्पादिता महावीर्या महागन्धर्वनायकाः विक्रौदार्यसंपन्ना महाबलपराक्रमाः । तेषां नामानि वक्ष्यामि यथावदनुपूर्वशः ६०५ 11E ।।१० ॥११ ॥१२ ॥१३ ॥१४ ॥१५ ॥१६ ।।१७ ॥१८ ॥१६ गन्धर्वो की जिन पुत्रियों को चर्चा में पहले कर चुका हूँ, उन सवों का भी मैं नाम बतला रहा हूँ, सुनो । उनमें सब से प्रथम सुयशा है, उनके बाद गान्धर्वी है, इनके अतिरिक्त विद्यावती, चारुमुखी, सुमुखी और वरानना नामक है । उनमें से सुयशा के पुत्र महाबलवान् एवं पराक्रमी यक्षगण हुये जो प्रचेता के संयोग से उत्पन्न हुए, उनके नाम सुनो |६-११॥ कम्बल, हरिकेश, कपिल, काञ्चन और मेघमाली- यक्षो के इस समूह को सुना चुका । सुयशा की चार अप्सरा कन्याएँ कही गई है, उनके नामों को में भलो भांति जानता हूँ बतला रहा हूँ, सुनों। उनमें सब से बड़ी लोहेयी थी, उससे जो छोटी थी उसका नाम था भरता । उसके बाद जो दो थीं उनके नाम कृशाङ्गी और विशाला थे- ये दोनों अनुपम सुदरी अप्सराएँ थी । इन चारों कन्याओ से महाबलवान् पराक्रमी विशाल ने अन्य चार यक्षगणों को उत्पन्न किया, जो लोहेय, भरतेय कृशाङ्गय और विशालेय नाम से यक्षों के कथा-प्रसङ्ग में पुराणों में सुप्रसिद्ध हैं ।१२-१६। हे समस्त लोक को वार्ता जाननेवालों में श्रेष्ठ मुनिगण ! इन महावलशाली, घोर पराक्रमी अनेक यक्षगणों एवं असुरों से समस्त लोक व्याप्त हो गये । महात्मा विक्रान्त ने परम पराक्रमशील श्रेष्ठ गन्धर्वो के नायक वालेय नांमक गन्धर्वो को उत्पन्न किया, जो विक्रम एवं औदार्यं गुण से सम्पन्न, महाबलवान् एवं परम पराक्रमी थे, उनकी यथाक्रम नामावली मैं बतला

  • धनुश्चिह्नान्तर्गतग्रन्थो ग. पुस्तके नास्ति ।