पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/१७२

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त्रयोविंशोऽध्यायः १५३ आप्य माहेश्वरं योगं ध्यानिनो दग्धकल्मषाः । मत्समीपं गमिष्यन्ति पुनरावृतिदुर्लभम् ॥१४२ परिवर्तेऽथ नवमे व्यासः सारस्वतो यदा। तदा चाहं भविष्यामि ऋषभो नाम नामतः १४३ तत्रापि मम ते पुत्रा भविष्यन्ति महौजसः । पराशरश्च गाग्र्यश्व भार्गवो ह्यङ्गिरास्तथा ॥१४४ भविष्यन्ति महात्मानो ब्राह्मणा वेदपारगाः । सर्वे तपोबलोत्कृष्टाः शापानुग्रहकोविदाः ॥१४५ तेऽपि तेनैव मार्गेण योगोक्तेन तपस्विनः । ध्यानमार्ग समासाद्य गमिष्यन्ति तथैव ते १४६ दशमे द्वापरे व्यासस्त्रिधामा नाम नामतः । भविष्यति यदा विप्रास्तदाऽहं भविता पुनः ॥१४७ हिमवच्छिखरे रम्ये भृगुतुङ्गे नगोत्तमे । नाम्ना भृगोस्तु शिखरे तस्मात्तच्छिखरं भृगुः ॥१४८ तत्रैव मम ते पुत्रा भविष्यन्ति दृढव्रताः । बलबन्धुनिरा(र)मित्रः केतुशृङ्गस्तपोधनः १४६ योगात्मानो महात्मानो ध्यानयोगसमन्विताः। रुद्रलोकं गमिष्यन्ति तपसा दग्धकल्मषाः १५० एकादशे द्वापरे तु तिष्ठव्यासो भविष्यति । तदाऽप्यहं भविष्यामि गङ्गाद्वारे कलेणैरि ॥१५१ उग्रा नाम सहनादास्तत्रैव मम पुत्रकाः। भविष्यन्ति महौजस्काः सुवृत्ता लोकविश्रुताः ॥१५२ लम्बोदरश्च लम्बश्च लम्बाक्षो लम्बकेशकः। प्राप्य माहेश्वरं योगं रुद्रलोकाय संस्थिताः । तेऽपि तेनैव मार्गेण गमिष्यन्ति परां गतिम् १५३ कर निष्पाप हो जायेंगे और हमारे पास आ जायेंगे, जहाँ से कि फिर लौटना नहीं पड़ता है ।१४१-१४२॥ नवम परिवर्तन में सारस्वत व्यास होंगे । उस समय हमें ऋषभ नाम से विख्यात होगे १४३। उस समय भी हमें महातेजस्वी पराशर, गाग्र्यं, भार्गव और अङ्गिरा नाभफ चार पुत्र होंगे। वे महरुमा ब्राह्मण वेदज्ञाता होंगे और तपोबलशाली होकर निग्रह-अनुग्रह के भी ज्ञाता होंगे ।१४४१४५। ये तपस्विगण उसी योगविधानपद्धति से ध्यान का अवलम्बन करके उसी प्रकार हमारे पास पहुँचेगे, जिस प्रकार क्रि और पिछले युगों में हमारे पुत्र हमारे पास आये थे । दसवें द्वापर में त्रिधामा व्यास होंगे । उस समय हम नगोतम हिमालय के भूगु नामक उन्नत और रम्य शिखर पर आविर्भूत होंगे ।१४६-१४८उस काल में भी हमे बलबन्धु निरामित्र, केतुशृङ्ग और तपोधन नामक चार पुत्र होंगे, जो व्रत करने में दृढ़- योगासक्त, महात्मा और ध्यानावस्थित होगे । ये भी निष्पाप होकर रुद्रलोक गमन करेंगे ।१४-१५०एकादशौं द्वापर में तिष्ठत् व्यास होंगे । उस समय हम कलि काल में गंगाद्वार में आवभूत होंगे। उस समय हमें उग्र नामक महानद करने वाले अत्यन्त बलशाली लोकविख्यात लम्बोदर, लम्ब, लम्बाक्ष और लम्बकेश नामक चार पुत्र होंगे । ये भी माहेश्वर योग को प्राप्त कर रुद्रलोक के लिये उद्यत होंगे और उसी मार्ग से उत्तम गति को प्राप्त करेंगे ।१५११५३बारहवे फा०=-२