पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२७३

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भाषाटीकासमेता । (२६५) जो योग वृथ्विकके सूर्य्यसे कहे हैं वे तो ग्रीष्मकी फसलके हैं वैसेही वृषके -सूर्य्यमें शरदकी फसलका विचार शुभाशुभ करना ॥ १४ ॥ त्रिषुसेव्यादिषुसूर्यः सौम्यैर्युक्तोनिरंतरविचरेत् ॥ ग्रैष्मिक सस्यं कुरुतेसम भयोपयोगंच ॥ १५ ॥ सूर्य्य ५ । ६ । ७ राशियों में निरंतर शुभग्रहसे युक्तही रहे तो ग्रीष्मकी फसल बहुत होगी भावभी सस्ता होगा ॥ १५ ॥ कार्मुकमृग घटसंस्थःशारदसस्यस्यतद्वदेवरविः ॥ संग्रहकालेज्ञेयोविपर्य्ययः रहयोगात् ॥ १६ ॥ ● सूर्य्य ९ | १० | ११ राशियों में निरंतर शुभयुक्त रहे तो शरदकी फसल बहुत, भाव सस्ता होगा. जो पापयुक्त दृष्ट रहे तो दोन हूं योगों में अन्न अल्प भाव तेज होगा, यह विचार विशेष संग्रह समयमें करना चाहिये ॥ १६ ॥ अथ वर्षाज्ञानम् । प्रश्नलग्नात्तोयराशिर्यदिलनातृतीयगः || तोयसंज्ञोग्रहस्तत्रभवत्येवजलप्रदः ॥ १७ ॥ प्रश्नलश्न से जलराशि ४ । १० । ११ । १२ तीसरी तथा उसीमें जल संज्ञक ग्रह चन्द्रमा शुक्र हों तो वर्षा शीघ्र होगी ॥ १७ ॥ बुधशुक्र योर्मध्यगतः सूर्य्यः स्याजलशोषकः ॥ तयोर्यंदिसमीपस्थोतदाबहुजलप्रदः ॥ १८ ॥ सूर्य बुध शुक्रके वीच हो तो जल सूखता है जो इनके समीपही हो तो बहुत जल देता है ॥ १८ ॥ अग्रेयातियदाभौमः पञ्चाञ्चलतिभास्करः ॥ तत्रवृष्टिर्नविपुलाजायतेनात्र संशयः ॥ १९ ॥ मैगलके पीछे सूर्य्य हो तो वर्षां नाममात्र और आगे हो तो बहुत होती है ५९ वर्षाप्रशशिन्योराशिगेल गेपिवा || केंद्रगेवाशकृपक्षेचातिवृष्टिःशुभेक्षिते ॥ २० ॥ वर्षाप्रश्नमें चन्द्रमा जलराशिमें वा लग्नमें हो अथवा शुक्लपक्षका चंद्रमा जलराशिका केंद्र में शुभदृष्ट हो तो अतिवृष्टि होवे ॥ २० ॥ .