पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२५४

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( २४६ ) ताजिकनीलकण्ठी । अथ नवमभावप्रश्नः । ममगमनंभवितानवेतिलग्नेश्वरेथवाचंद्रे || नवमेशमुथशिलेसतिनवमेवास्याद्भवेद्गमनम् ॥ १ ॥ मेरा गमन होगा वा नहीं ऐसे प्रश्नमें लग्नेश वा चन्द्रमासे नवमेशका मुथ- शिल हो वा लग्नेश नवम हो तो गमन होगा ॥ १ ॥ लग्नस्थेनवमपतौल धिपमुथशिलेचसंचारात् || रहितोयातिपुनर्नानवमदृशावर्जितेयोगे ॥ २ ॥ . नवमेश लग्नमें लग्नेशसे मुथशिली हो तो चलता फिरता रहे जो. लग्नेश वा नवमेशका नवमस्थानमें दृष्टि न हो तो गमन भी न होवे ॥ २ ॥ लग्नपतौकेंद्रस्थेसहजेश थारीलेचविक्रूरे ॥ गमनंस्यादस्मिन्वाकेंद्रेकरेचनास्तिगतिः ॥ ३ ॥ लग्नेश केंद्र में तृतीयेशसे मुथशिली निष्पाप हो तो गमन होवे, जो केंद्रों में क्रूरग्रह हों तो गमन नहीं होगा ॥ ३ ॥ अस्तेक्रूरेचयत्कायै॑निर्यातिविघ्नमतएंव ॥ आकाशस्थेपापेराजकुलाज्ज्येष्ठतोनिजाद्वापि ॥ ४ ॥ जो सप्तम स्थानमें पापग्रह हों तो जिस कार्ग्यके लिये गमन करे उसमें विघ्न होवे जो दशममें पाप हों तो राजकुलसे वा अपने ज्येष्ठ से वा अपने- हीसे विघ्न होवे ॥ ४ ॥ नवमेशे¸ थशिलगेलग्नाधीशनपा परिषुदृष्टे | गमनेवसानतः स्यात्प्रष्टुःकष्टंक्षयोर्थस्य ॥ ५ ॥ लग्नेशसे नवमेशका मुथशिल हो किंतु पापयुत और शुक्रदृष्ट हो तो गमन तो होबे किंतु अंतमें कष्ट और वनहानि होवे ॥ ५ ॥ लग्नेशेनवमेशेमुथशिलकृतिरंअसत मेकष्टम् ॥ उदितेस्मिन्यायायाद्विनिःसृतिः स्यात्सुखकरः पंथाः ॥ ६ ॥ जो लग्नेश नवमेशका मुथशिल सप्तम वा अष्टमस्थानमें हो तो गमन: होवे, जो वह अस्तसे उदय होगया हो तो मार्ग खकारी होगा ॥ ६ ॥