पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२३१

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

भाषाटीकासमेता । ( २२३ ) लग्नांतर्दिनराशिर्दिवाग्रहो लग्नपञ्चदिनराशौ || तद्दिवसे जन्मस्याद्विपरीतेव्यत्ययश्चैषाम् ॥ १३ ॥ जो लग्न दिवाबली और लग्नेश भी दिवाबली राशिमें हों तो दिनमें और ये रात्रिमें बली हों तो रात्रिमें जन्म होगा ॥ १३ ॥ 'तत्काले द्विरसांशश्चन्द्रमसस्तत्समेचन्द्रे ॥ गर्भस्यप्रसवः स्यादनुपातःशास्त्रतः कार्य्यः ॥ १४ ॥ प्रश्न वा आधान कालमें चन्द्रमा जिस द्वादशांशमें हो उसीके तुल्यराशिस्थ चन्द्रमामें नवम वा दराम महीने में जन्म होगा. इसका अनुपात अन्य शास्त्रों में विशेष प्रकट कहा है, बृहज्जातक महीधरीभाषामेंभी विशेष विस्तार है ॥ १४ ॥ अस्मिन्वर्षेऽपत्यंभविताविलग्नपंचमाधीशौ ॥ भजतो यदीत्थशालंतत्रैवाब्दे भवेन्नूनम् ॥ १५ ॥ . इससालमें मेरे संतान होगी वा नहीं ऐसे प्रश्नमें जो लग्नेश पंचमेश इत्थ- शाली हों तो निश्चय संतान होगी. ईसराफसे न होगी ॥ १५ ॥ यदिवा मिथोगृहगतौस्यातामे तौच संत तिस्तदपि || . वाच्या तस्मिन्वर्षे शुभयोगादन्यथान पुनः ॥ १६ ॥ अथवा लग्नेश पंचमेश एकही स्थानमें वा एककी राशिमें दूसरा दूसरेकीमें एक हो तथा शुभयुक्त हो तो संतान होगी. इतने मेंसे कोईभी योग न हो तो संतान नहीं होगी ॥ १६ ॥ सूताप्रसूतयुवतिज्ञाने तपोथषष्ठपःसूर्य्यात्॥निंर्गत्योदयमायात्ततः प्रसूतेचनारीयम् ॥ अथजीवभौमशुका आकाशउदयिनस्तथाप्ये- वम् ॥ १७ ॥ यह स्त्री प्रसववती होगी वा नहीं ऐसे प्रश्नमें पंचमेश वा षष्ठेश सूर्य्यंके साथसे उदय होगया हो अथवा बृहस्पति मंगल शुक्र दशम स्थानमें हों तो प्रसूति होगी ॥ १७ ॥ ग्रंथांतरे । लग्नेश्वरेणाथनिशाकरेणय दीत्थशालंकुरुतेसुतेशः ॥ · भःशुमैः संयुतईक्षितः स्यात्सत्संतति टुरसौविदयात् ॥ १८ ॥