पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१५८

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(१५०) ताजिकनीलकण्ठी ।. जन्मका बृहस्पति अष्टम वर्ष में अधिकाररहित हो और शुक्र इसे देखे तो विवादमें प्रत्युत्तर देनेसे जय होवे और मंगल बारहवें स्थानमें सूर्य द्वितीय स्थानमें हों तो विवादसे क्लेश होगा. कहना ॥ १० ॥ 71 अनुष्टु० - रिपुगोत्रकलिभतिः संख्येकुजहतेव्द पे || दग्धोजन्मांगपोव पैष्टमोरोगकली दिशेत् ॥ ११ ॥ वश भौमसे पीडित हो तो शत्रुवोंसे और अपने कुलकेभी शत्रुवोंसे कलह होवे तथा संग्राम में भय होवे और जन्मलगेश अस्तंगत हो वर्ष में अष्टम हो तो रोग तथा कलह होने कहना ॥ ११ ॥ अनु० - सूत्यव्दयोरधिकृतौ भौमस्थानेगुरुर्हतः || पापैर्वादःस्फुटोप्येवंतादृशींदौशनेः पदे ॥ १२ ॥ बृहस्पति जन्मकाल और वर्षकालका अधिकारी होके जन्मकालिक मंगलके आक्रांत राशिमें हो पापग्रह से हत होय तो लोगों के साथ बहुत कलह होगा और जन्मकालिक शनिराशिके जन्म और वर्षकालका अधिकारी चंद्र पापग्रहले हत होय तो ऐसाही फल जानना ॥ १२ ॥ अनुष्टु० - सूत्यव्दयोरधिकृतेचंद्रेवुधपदेहते ॥ रैर्विदेशगमनंवादः स्याद्विमनस्कता ॥ १३ ॥ जन्म तथा वर्षका अधिकारी चंद्रमा जन्मके बुधकी राशिमें पाप- पीडित हो तो विदेशगमन कलह और मानसी, क्लेश होवे ॥ १३ ॥ अनुष्टु०-मेपेसिंहेधनुष्यारेव्दपेरंध्रेऽसितोभयम् || मृत्यौष्मृतीशलग्नेशौमृत्युदौपापग्युतौ ॥ १४ ॥ मेष सिंह धनका मंगल वर्षेश होकर अष्टममें हो तो तलवारसे भय होवे और अष्टगेश एवं लग्नेश अष्टम स्थानमें पापग्रहोंसे युक्त वा दृष्ट हो तो मृत्यु देते हैं ॥ १४ ॥. अनुष्टु० - यत्रक्षैजन्मनिकुजःसोन्दलश्नोपगोयदा || बुधोवर्पपतिर्नष्टवलस्तत्र नशोभनम् ॥ १५ ॥