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पृष्ठम्:वैशेषिकदर्शनम्.djvu/१६२

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'वैशेषिक-दर्शन ।

द्रव्यत्व, गुणत्व, कर्मत्व का सावे | तेज के लक्षण की परीक्षा ६२ शेष निरूपण . ३८ | जल के लक्षण की परीक्षा ६२ ६३ सचा | काल का निरूपण सामान्य की एकता का ३९ | दिवा का निरूपण ५४

द्वितीयाध्यायप्रथम आह्निक संशय का व्युत्पादन ५६

पृथिवी का लक्षण ४० | शब्ढ के स्वरूप और उस के नित्यत्व अनित्यत्व की तज का लक्षण वायु का लक्षण ४१ तृतीयाध्यायप्रथम आह्निक अथाकाश की विलक्षणता ४१ | आत्म परीक्षा का मकरण ६६ असि संयोग से पार्थिव वस्तुओं | शरीर चेतनता का खण्डन६७ का पिघलना ४१ | प्रसंग से हेतु और हेत्वाभासों अग्रिसंयोग से धातों का िपघः | का निरूपण लना ४२ | ‘आत्मा कीसिद्धिमें ज्ञान सद्धेतु अप्रत्यक्ष पदार्थो की सिद्धि के | है’ का प्रतिपादन ७२ लिए अनुमान की माणता | अन्य प्राणियों में आत्मा के का उपप्पादन ४२ ! अनुमान का प्रकार ७९ अनुमान से वायु और उस के तृतीयध्यायद्वितीयअह्निक धर्मो की सिद्धि ४३ | मन का निरूपण ७३ आकाशा का निरूपण ४७ । आत्मा के साधक अनेक लिङ्गों

द्धि०ध्यायद्वितीयआह्निक का प्रतिपादन ७६

पृथिवी के लक्षण की परीक्षा ५१. पान्याओं के भेद का माधल८२ परीक्षा