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पृष्ठम्:वैशेषिकदर्शनम्.djvu/१५६

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'वैशेषिक-दर्शन ।

वस्त्र, उस वस्त्र का कारण जो तन्तु हैं, उन में समवाय से जो रूप है, वही वस्त्र के रूप का कारण है ।

संस-निमित्त कारण बतलाते है

संयुक्त समवायादवैशेषिकम् । ७ ।

संयुक्त समवाय से अग्रि का विशेष गुण (उष्णता) कारण होता है ।

व्या-यह जो अग् िकी उष्णता है, यह संयुक्त समवाय से पृथिवी के गन्ध रस रूप स्पर्श का निमित्त कारण है, क्योंकि अप्ति की उष्णता के निमित्त से पृथिवी के गन्ध रस रूप स्पर्श वढलते है। सम्वन्ध यहां संयुक्त समवाय है। पृथिवी से संयुक्त डआ था, उस अग् िमें समवाय से उष्णता रहती है ।

सगति-पदार्थों का साधम्यै वैधर्मयै से निरूपण किया, उन्हीं के तत्व शान से मोक्ष होता है, किन्तु मोक्ष का हेतु तत्त्वज्ञान धर्म विशेष से उत्पन्न होता है, यह पूर्व (१। १। ४) कहा है, उसी धर्म विशेष पर दृढ श्रद्धा उत्पन्न करने के लिए धर्म का गौरव दिख लाते हुए उपसंहार करते है

दृष्टानां दृष्टप्रयोजनानां दृष्टाभावे प्रयोगोऽभ्यु

(शास्त्र में ) वतलाए गए फलों वाले, ( शास्त्र में) बत लाए गए कर्मो का अनुष्ठान, दृष्ट के अभाव में अभ्युदय (आत्म वल की उन्नति ' के लिए होता है।

यह खूब पूर्व ( १ । १ । ३) व्याख्यात है । इति शब्द सयाप्ति सूचक है। इति वैोपिक दर्शनम् ।