"ऋग्वेदः सूक्तं १०.१७५" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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प्र वो ग्रावाणः सविता देवः सुवतु धर्मणा । |
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धूर्षु युज्यध्वं सुनुत ॥१॥ |
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ग्रावाणो अप दुच्छुनामप सेधत दुर्मतिम् । |
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उस्राः |
उस्राः कर्तन भेषजम् ॥२॥ |
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ग्रावाण उपरेष्वा महीयन्ते सजोषसः । |
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वृष्णे दधतो वृष्ण्यम् ॥३॥ |
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वर्ष्णेदधतो वर्ष्ण्यम ॥ |
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ग्रावाणः सविता नु वो देवः सुवतु धर्मणा । |
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यजमानाय सुन्वते |
यजमानाय सुन्वते ॥४॥ |
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२१:०५, १५ फेब्रवरी २००९ इत्यस्य संस्करणं
ऋग्वेदः सूक्तं १०.१७५
प्र वो ग्रावाणः सविता देवः सुवतु धर्मणा । धूर्षु युज्यध्वं सुनुत ॥१॥ ग्रावाणो अप दुच्छुनामप सेधत दुर्मतिम् । उस्राः कर्तन भेषजम् ॥२॥ ग्रावाण उपरेष्वा महीयन्ते सजोषसः । वृष्णे दधतो वृष्ण्यम् ॥३॥ ग्रावाणः सविता नु वो देवः सुवतु धर्मणा । यजमानाय सुन्वते ॥४॥