"ऋग्वेदः सूक्तं १.२" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः १२: | पङ्क्तिः १२: | ||
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वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंकृताः । |
वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंकृताः । |
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तेषां पाहि श्रुधी हवम् ॥१॥ |
तेषां पाहि श्रुधी हवम् ॥१॥ |
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वाय उक्थेभिर्जरन्ते त्वामच्छा जरितारः । |
वाय उक्थेभिर्जरन्ते त्वामच्छा जरितारः । |
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सुतसोमा अहर्विदः ॥२॥ |
सुतसोमा अहर्विदः ॥२॥ |
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वायो तव प्रपृञ्चती धेना जिगाति दाशुषे । |
वायो तव प्रपृञ्चती धेना जिगाति दाशुषे । |
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उरूची सोमपीतये ॥३॥ |
उरूची सोमपीतये ॥३॥ |
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इन्द्रवायू इमे सुता उप प्रयोभिरा गतम् । |
इन्द्रवायू इमे सुता उप प्रयोभिरा गतम् । |
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इन्दवो वामुशन्ति हि ॥४॥ |
इन्दवो वामुशन्ति हि ॥४॥ |
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वायविन्द्रश्च चेतथः सुतानां वाजिनीवसू । |
वायविन्द्रश्च चेतथः सुतानां वाजिनीवसू । |
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तावा यातमुप द्रवत् ॥५॥ |
तावा यातमुप द्रवत् ॥५॥ |
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वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्कृतम् । |
वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्कृतम् । |
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मक्ष्वित्था धिया नरा ॥६॥ |
मक्ष्वित्था धिया नरा ॥६॥ |
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मित्रं हुवे पूतदक्षं वरुणं च रिशादसम् । |
मित्रं हुवे पूतदक्षं वरुणं च रिशादसम् । |
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धियं घृताचीं साधन्ता ॥७॥ |
धियं घृताचीं साधन्ता ॥७॥ |
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ऋतेन मित्रावरुणावृतावृधावृतस्पृशा । |
ऋतेन मित्रावरुणावृतावृधावृतस्पृशा । |
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क्रतुं बृहन्तमाशाथे ॥८॥ |
क्रतुं बृहन्तमाशाथे ॥८॥ |
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कवी नो मित्रावरुणा तुविजाता उरुक्षया । |
कवी नो मित्रावरुणा तुविजाता उरुक्षया । |
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दक्षं दधाते अपसम् ॥९॥ |
दक्षं दधाते अपसम् ॥९॥ |
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वाय॒वा या॑हि दर्शते॒मे सोमा॒ अरं॑कृताः । |
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तेषां॑ पाहि श्रु॒धी हव॑म् ॥ |
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वाय॑ उ॒क्थेभि॑र्जरन्ते॒ त्वामच्छा॑ जरि॒तार॑ः । |
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सु॒तसो॑मा अह॒र्विद॑ः ॥ |
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वायो॒ तव॑ प्रपृञ्च॒ती धेना॑ जिगाति दा॒शुषे॑ । |
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उ॒रू॒ची सोम॑पीतये ॥ |
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इन्द्र॑वायू इ॒मे सु॒ता उप॒ प्रयो॑भि॒रा ग॑तम् । |
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इन्द॑वो वामु॒शन्ति॒ हि ॥ |
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वाय॒विन्द्र॑श्च चेतथः सु॒तानां॑ वाजिनीवसू । |
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तावा या॑त॒मुप॑ द्र॒वत् ॥ |
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वाय॒विन्द्र॑श्च सुन्व॒त आ या॑त॒मुप॑ निष्कृ॒तम् । |
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म॒क्ष्वि१॒॑त्था धि॒या न॑रा ॥ |
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मि॒त्रं हु॑वे पू॒तद॑क्षं॒ वरु॑णं च रि॒शाद॑सम् । |
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धियं॑ घृ॒ताचीं॒ साध॑न्ता ॥ |
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ऋ॒तेन॑ मित्रावरुणावृतावृधावृतस्पृशा । |
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क्रतुं॑ बृ॒हन्त॑माशाथे ॥ |
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क॒वी नो॑ मि॒त्रावरु॑णा तुविजा॒ता उ॑रु॒क्षया॑ । |
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दक्षं॑ दधाते अ॒पस॑म् ॥ |
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०६:४९, ६ एप्रिल् २०१७ इत्यस्य संस्करणं
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दे. १-३ वायुः, ४-६ इन्द्र-वायू, ७-९ मित्रा-वरुणौ। गायत्री |
मण्डल १ | ||||||
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वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंकृताः । |
वाय॒वा या॑हि दर्शते॒मे सोमा॒ अरं॑कृताः । |