"ऋग्वेदः सूक्तं १.५" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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मा नो मर्ता अभि दरुहन तनूनामिन्द्र गिर्वणः | |
मा नो मर्ता अभि दरुहन तनूनामिन्द्र गिर्वणः | |
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ईशानो यवया वधम || |
ईशानो यवया वधम || |
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*[[ऋग्वेद:]] |
२०:१६, ९ अक्टोबर् २००४ इत्यस्य संस्करणं
आ तवेता नि षीदतेन्द्रमभि पर गायत | सखाय सतोमवाहसः || पुरूतमं पुरूणामीशानं वार्याणाम | इन्द्रं सोमे सचा सुते || स घा नो योग आ भुवत स राये स पुरन्ध्याम | गमद वाजेभिरा स नः || यस्य संस्थे न वर्ण्वते हरी समत्सु शत्रवः | तस्मा इन्द्राय गायत || सुतपाव्ने सुता इमे शुचयो यन्ति वीतये | सोमासो दध्याशिरः || तवं सुतस्य पीतये सद्यो वर्द्धो अजायथाः | इन्द्र जयैष्ठ्याय सुक्रतो || आ तवा विशन्त्वाशवः सोमास इन्द्र गिर्वणः | शं ते सन्तु परचेतसे || तवां सतोमा अवीव्र्धन तवामुक्था शतक्रतो | तवां वर्धन्तु नो गिरः || अक्षितोतिः सनेदिमं वाजमिन्द्रः सहस्रिणम | यस्मिन विश्वानि पौंस्या || मा नो मर्ता अभि दरुहन तनूनामिन्द्र गिर्वणः | ईशानो यवया वधम ||