पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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सुवर्णमालास्तुतिः।
ईश गिरीश नरेश परेश म-
हेश बिलेशयभूषण भो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम ॥ ४ ॥
उमया दिव्यसुमङ्गलविग्रह-
यालिङ्गितवामाङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम् ।।५।।
ऊरीकुरु मामज्ञमनाथं
दूरीकुरु मे दुरितं भो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ६ ॥
ऋषिवरमानसहंस चराचर-
जननस्थितिलयकारण भो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ७ ॥