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पुटमेतत् सुपुष्टितम्
८०
सुवर्णमालास्तुतिः।

ईश गिरीश नरेश परेश म-
 हेश बिलेशयभूषण भो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
 शरणं मे तव चरणयुगम ॥ ४ ॥

उमया दिव्यसुमङ्गलविग्रह-
 यालिङ्गितवामाङ्ग विभो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
 शरणं मे तव चरणयुगम् ।।५।।

ऊरीकुरु मामज्ञमनाथं
 दूरीकुरु मे दुरितं भो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
 शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ६ ॥

ऋषिवरमानसहंस चराचर-
 जननस्थितिलयकारण भो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
 शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ७ ॥