पृष्ठम्:शङ्कराचार्यविरचितानि स्तोत्राणि (प्रथमः भागः).pdf/१२८

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पुटमेतत् सुपुष्टितम्

॥ श्रीः॥
॥शिवनामावल्यष्टकम् ॥


हे चन्द्रचूड मदनान्तक शूलपाणे
 स्थाणो गिरीश गिरिजेश महेश शंभो ।
भूतेश भीतभयसूदन मामनाथं
 संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ १॥

हे पार्वतीहृदयवल्लभ चन्द्रमौले
 भूताधिप प्रमथनाथ गिरीशचाप ।
हे वामदेव भव रुद्र पिनाकपाणे
 संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ २॥

हे नीलकण्ठ वृषभध्वज पञ्चवक्त्र
 लोकेश शेषवलय प्रमथेश शर्व !
हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते मां
 संसारदुःखगहना जगदीश रक्ष ।। ३ ।।