पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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सुवर्णमालास्तुतिः।
वसुधातद्धरतच्छयरथमौ-
र्वीशर पराकृतासुर भो ।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४४ ॥
शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद
दुर्वृत्तगर्वहरण विभो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४५ ॥
षड्रिपुषडूर्मिषड्विकारहर
सन्मुख षण्मुखजनक विभो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम् ।। ४६ ।।
सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मे-
त्येतल्लक्षणलक्षित भो।
साम्ब सदाशिव शंभो शंकर
शरणं मे तव चरणयुगम् ॥ ४७ ॥