पुटमेतत् सुपुष्टितम्
॥ श्री ।।
॥ लक्ष्मीनृसिंहकरुणारसस्तोत्रम् ॥
श्रीमत्पयोनिधिनिकेतनचक्रपाणे
भोगीन्द्रभाेगमणिराजितपुण्यमूर्ते ।
योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥ १ ॥
ब्रह्मेन्द्ररुद्रमरुदर्ककिरीटकोटि-
संघट्टिताङ्घ्रिकमलामलकान्तिकान्त ।
लक्ष्मीलसत्कुचसरोरुहराजहंस
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥ २ ॥
संसारदावदहनाकरभीकरोरु-
ज्वालावलीभिरतिदग्धतनूरहस्य ।
त्वत्पादपद्मसरसीरुहमागतस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥ ३ ॥