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पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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शिवपञ्चाक्षरनक्षत्रमालास्तोत्रम् ।


पाहि मामुमामनोज्ञदेह ते नम शिवाय
देहि मे वर सिताद्रिगेह ते नम शिवाय ।
मोहितर्षिकामिनीसमूह ते नम शिवाय
स्वेहितप्रसन्न कामदोह ते नम शिवाय ॥ १६ ॥

मङ्गलप्रदाय गोतुरग ते नम शिवाय
गङ्गया तरङ्गितोत्तमाङ्ग ते नम शिवाय ।
सङ्गरप्रवृत्तवैरिभङ्ग त नम शिवाय
अङ्गजारय करेकुरङ्ग त नम शिवाय ॥ १७ ॥

ईहितक्षणप्रदानहेतवे नम शिवाय
आहिताग्निपालकोक्षकेतवे नम शिवाय ।
देहकान्तिधूतरौप्यधातवे नम शिवाय
गेहदु खपुञ्जुधूमकेतवे नम शिवाय ॥ १८ ॥

त्र्यक्ष दीनसत्कृपाकटाक्ष ते नम शवाय
दक्षसप्ततन्तुनाशदक्ष ते नम शिवाय ।
ऋक्षराजभानुपावकाक्ष त नम शिवाय
रक्ष मा प्रपन्नमात्ररक्ष ते नम शिवाय ॥ १९ ॥