२३० लीलावती- तात् अग समानान्तरा कह रेखा विवेया | वर्घितयेाः ङक गत रेकयोः संपातः स । गघ, गत रेखयोरूपरि अल, अर लम्बरेखे कायें | अस् योजनीया |
अत्र अग, हक रेखायोः समान्तरत्वात् <कहग = <अगघ परंच
<अगध = अबग∴ <कहग = <अवग ∴कह =कध । अथ च अ, क विदुभ्यां अग, कत, कघ व्यासार्घैः तसम, घचहप वृत्ता नि विधेयानि | अह रेखा योजनीया |
अथात्र अकग, अहग अगस, त्रिभुजानि समानीति क्षत्रमित्या स्पष्टमेव | समानान्तररेखयोरेकाधारमतत्वात् । तेन Δअहग अल हग २
Δ
∴Δ
.. Aअहम X 4 अगस - अश्र अल x ह्ग २ अरसप
गव
गम पन २ अर सम गत . FI पर क्षेत्रमितेतृतीयाध्यायस्यै कविंशीप्रतिज्ञया हम x गध = पग x गव । तथा गत X = गम X गन । पग गन्त्र गमगन कच- कय २ कम + कम २ गन कम - कन २ २ .:. त्रिक) =ल (स युपपत्रिभुजफलानयनम् । . HOME २ अ+के+ग - . . www. 2 HTM · टं हम x ग X
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