पृष्ठम्:रामकथामञ्जरी.pdf/५

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जितनी सरलता और सरसता, बाल्मीकि की रामायण में है वह और कहीं नहीं पायी जाती। थोड़ी बहुत संस्कृत भाषा मानने वाला भी उसके श्लोकों का अर्थ शीघ्र समझ लेता है। इस लिए यह पुस्तक मैट्रिकुलेशन प्रादि परीक्षाओं के लिए अत्युपयोगी है। पच्चीस हजार श्लोकों में से पांच सौ श्लोकों को निकाल कर पूरी कथा वर्णन करना कुछ सहज नहीं, इस लिए बहुत स्थानों पर एक श्लोक के पूर्वार्ध तथा उत्तरार्ध में सैकड़े श्लोकों का अन्तर हो जाता है । एक दो स्थानों में कथा का सम्बन्ध दिखाने के लिए श्लोकों के आगे पीछे भी करना पडा है। इस पुस्तक की उपयोगिता को और भी बढ़ाने के लिए- (क) प्रत्येक पृष्ठ पर संस्कृत टीका ऐसे सरल और में दी गई है कि संस्कृत साधारण योग्यता रखते हुए पुरुष भी उस से लाभ उठा सकें। (ख)जो लोग संस्कृत नहीं जानते उनके लिए पुस्तक अन्त में कठिन शब्दों के हिन्दी में अर्थ दिये हुए हैं। (ग) जिन प्रान्तों में हिन्दी भाषा प्रचलित नहीं उनके लिए कठिन शब्दों की इङ्गलिश भाषा में व्याख्या की हुई है। मुझे आशा है कि सहृदयगण इसे अपनाकर मेरे उत्साह को बढ़ायेंगे- सन्त गोकुलचन्द्र