पृष्ठम्:रामकथामञ्जरी.pdf/१११

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पृष्ठ ६८ (अव्यग्रः) निर्भय होकर । (तपः-कृत-परिग्रहः) तप के बल से जिसने सभी धन धान्यादि सामग्री इकट्ठी कर ली है। पृष्ठ 69 (कार्यासकैः ) कपास (रुई के बने हुए । (निर्वापयामास) शान्त किया। (कलोला स्फालवेलान्तम् ) जिसका तीर लहरों से स्पर्श किया जाता है। ( पादपाकुले ) वृक्षों से युक्त ! परिवार्य ) घेर कर । ( अस्रताम् ) जिसे कोई चोट नहीं पहुंची। युद्धकाण्ड पृष्ठ 70 (परिषज्वजे) गले लगाया। (ह्रिया अवाङमुखः) लज्जा से मुख को नीचे किये हुए। पृष्ठ ७१ (वलीमुखाः) बानर (दंष्ठ्रा युधाः ) जिनके दान्त शस्त्र हैं। ( रामें रिताः) राम से चलाये हुए। पृष्ठ 72 (नैर्ऋतयोध मुख्यः) राक्षसों में से मुख्य योधा। (प्राकृतयोः) साधारण पृष्ठ 73 (कालचोदितः । मृत्यु से प्रेरा हुआ। पुष्ठ 74 (निर्यात्यताम् ) दे दो।