पृष्ठम्:रामकथामञ्जरी.pdf/११०

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से शङ्कित होकर । ( परदाराबरोस्य ) दूसरों की स्त्रियों का। (विचिनोमि) ढूंढता हूँ। पृष्ठ61 ( ताराधिपनिभाननाम् ) चन्द्रमा के सदृश मुख बाली! (मलिनसंवीताम् ) मलिन वस्त्र धारण किये हुए है ( उपवास कृशाम् ) अनाहार से दुर्बल । ( अनशनेन ) अनाहार से। (वितिमिराः) अन्धकार रहित । पृष्ठ 62 (किञ्चिच्छेषा) कुछ बाकी रही हुई। (प्रवाते) अन्धेरी में। (धननिश्चय ) धन समूह को। (प्रदिश) दो । (लल)ईच्छा करो। पृष्ठ63 ललन्तु ) इच्छायें पूर्ण करें। ( व्याहरत ) कहते हुए । (विपन्नम् ) बिगड़ा हुआ । तद्बन्धुगतमानसम् ) जिसका मन, अपने सम्बन्धि (राम) में लगा है। पृष्ठ65 (अमर्षापहृता ) वैर से चुराई हुई। पृष्ठ ६६ निशस्य) सुनकर। (लौकिकी ) इस जगत् से सम्बन्ध रखने वाली। पृष्ठ67 स्वत; ) अपने श्राप । ( देव कल्पम् ) देवता के समान ।