पृष्ठम्:रामकथामञ्जरी.pdf/१०८

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(अपाकर्षत ) खींच ले गया। (अशनि-सन्निभ) वज्र के तुल्य । पृष्ठ 51 (न्यास भूता) इमानत ! (विकांक्षन्)उत्कट इच्छा करता. हुआ। (राम के पास जाने की) (अन्तरास्थितः) अवकाश पाकर । ( विहारसा ) आकाश भार्ग से! पृष्ठ 52 (रूपिणीम् ) साक्षात् रूप धारण की हुई 1. (क्षतजार्द्रम्) रुधिर से गिले हुए। शुभदर्शकाननाम् ) सुन्दर वन से युक्त । किष्किन्धाकाण्ड पृष्ठ 53 पुष्करिणीम् ) सरोवर । (वरायुध धरौं) अष्ट शस्त्रों को धारण किए हुए । (वालि-प्रणिहितौ ) बालि के भेजे हुए (प्रणिपत्य) प्रणाम कर-1 (संशित व्रतौ) उग्र व्रत वाले । - वरवर्णिनो) श्रेष्ट ब्रह्मचारिणी । (वित्तम् ) जानो ! (हष्ट मानस:) प्रसन्न चित्त वाला। (ध्रुवा ] दृढ ! पृष्ठ 55 (विनिरुतः ) निकाला गया । ( उत्तरीयम् ) ऊपर का वन (दुकूल, दुपट्टा) (वरितम् ) शीघ्र । (आवृत्य) दांप कर (हेम पिङ्गलः) सुवर्ण के समान पोतवर्ण वाला । (दंष्ट्राकरालः)