पृष्ठम्:रामकथामञ्जरी.pdf/१०७

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(अरिन्दमम् ) शत्रुओं को दमन करने वाले । ( पादुके ) खडावें । [ हेमभूषिते ] सुवर्णालंकृत । योग क्षेमम् ] लोगों के लाभकारक कूप आदि का बनवाना और उनकी रक्षा करना। पृष्ठ 44 (बालव्यजनम् )छोटे से पंखे के आरण्यकाण्ड पृष्ठ 45 सूर्य-वर्चसम् ) सूर्य समान तेज बाले। पृष्ठ ४६ आहारयत् ] पाप्त हुए। [निकृत्तकर्णनासा] नासिका तथा कर्ण कटाकर। पृष्ठ 47 (शोणितीत्तताम् ) रुधिर से भरी हुई। (मंडली-कृत कार्मुकः) धनुष को बल से खींचने से जिसका प्राकार गोल बन गया है। (निशितम् ) तीक्ष्ण। पृष्ठ48 ( पूणेन्दु सदृशानना) पूर्ण चन्द्र के समान मुख वाली (रोमहर्षणम् ) रोमाञ्चित करने वाले । (विक्रम्य ) बल से। पृष्ठ 49 अप्रमेयम् ) अवधि रहित ।