पृष्ठम्:महासिद्धान्तः.djvu/76

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Ro सतिलके महासिद्धान्ते विकक्ष- क --१८५१२°°११६°°°°°° R Y R R5 o os e o o - ༤ངe ༣ རེ༠ ༤༤ ༣༢༣ ༥༠ ༈ ༤ ༤ རེང༠༢་ན་ཅ༨, ༢༨ ༠ ༤ ༤ བའི་ Y RR o -Yo so = -********= ४३३१५०० – – । अत उपपन्नं सर्वम् ॥३४॥ R to Ro इदानीं ग्रहाणां यातयोजनानयनं कलिमुखे यातयोजनमानं चाह। द्युगणखकक्षाघातः कहभत्तेो यातयोजनानि स्यु । कलिजक्षपो हेमग्रसनजमथिजेभधीतिनीनोना ॥३९॥ कलिजक्षेपः कलिमुखे यातयोजनानि । शेषं स्पष्टार्थम् । अत्रेोपपत्तिः । कल्पकुदिनैः खकक्षामितयोजनानि ग्रहा भ्रमन्ति तदाहर्गणेन किम्। लब्धानियातयोजनानि स्युः। अनेनैवानुपातेन कलिमुखे २५श्लोकपठितकालेमुखाहर्गणतः V9 YV «ዒ.ዓ २६5 × कलिवग HHDHSHYS HAqALDLDDEEEiLiL LLEE SJ BDiSeB J BDDS BBBB ककु 币可 ककु = कलिवगx रविकक्षा - no too, Roooo X YR3 to o R o o Ro o o o Ro sa v i sv, Ro oo o XYS ako o -- stry&Y's X Yoo oooo - 6 You o érvo eveYo Fo o o s १९६९९२ मत उपपन्नं हेमग्रसनघ्नमथि ♥ 8 8 ፃካ । भुत उपपन् हमग्रसनममाथ(YV to जेभधीतिनीनोना इति ॥३५॥ १९६९९२ V*, o°, V9 ş - Ч“, o Sve - V» < V9ʻ* 9 4 CRRV9 0 (Yeo ooooo to *A es* i o o o e, JRoss ex\see, ko e o J