विषयाः । |
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पृष्ठे ।
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प्रतिकूलविभावग्रहोदाहरणम् |
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१८४
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पुनःपुनर्दीप्त्युदाहरणम् |
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१८४
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अकाण्डप्रथनोदाहरणम् |
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१८४
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अकाण्डरसच्छेदोदाहरणम् |
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१८४
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अङ्गविस्तृत्युदाहरणम् |
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१८४
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अङ्ग्यननुसंधानलक्षणम् |
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१८४
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प्रकृतिविपर्ययलक्षणम् |
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१८४
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अनङ्गाभिधानलक्षणम् |
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१८४
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संचारिणां वाच्यत्वेऽप्यदोषत्वम् |
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१८४
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रसविरोधे नियमः |
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१८४
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भावोदयलक्षणम् |
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१८५
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भावसंधिलक्षणम् |
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१८५
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शबलतालक्षणम् |
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१८५
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रससंकरलक्षणम् |
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१८५
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रसानामवस्थाकथनम् |
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१८६
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काव्यप्रयोजनम् |
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१८६
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काव्यलक्षणम् |
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१८६
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काव्यभेदकथनम् |
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१८६
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श्राव्यकाव्यभेदकथनम् |
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१८६
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गद्यलक्षणम् |
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१८६
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पद्यलक्षणम् |
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१८६
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दृश्यकाव्यभेदकथनम् |
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१८६
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ध्वनिलक्षणम् |
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१८६
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गुणीभूतव्यङ्ग्यलक्षणम् |
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१८६
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विषयाः । |
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पृष्ठे ।
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चित्रलक्षणम् |
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१८७
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चित्रभेदकथनम् |
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१८७
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महाकाव्यलक्षणम् |
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१८७
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उपकाव्यलक्षणम् |
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१८७
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आख्यायिकालक्षणम् |
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१८७
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कथालक्षणम् |
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१८८
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उदाहरणलक्षणम् |
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१८८
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चक्रवालकलक्षणम् |
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१८८
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भोगावलीलक्षणम् |
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१८८
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बिरुदावलीलक्षणम् |
… |
१८८
|
तारावलीलक्षणम् |
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१८८
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विश्वावलीलक्षणम् |
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१८८
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रत्नावलीलक्षणम् |
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१८९
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पञ्चाननावलीलक्षणम् |
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१८९
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आख्यायिकादिषु रसनियमः |
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१८९
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वर्ण्यनायकलक्षणम् |
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१८९
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नृपे वर्णनीयगुणकथनम् |
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१८९
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राजकुमारे वर्णनीयगुणवर्णनम् |
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१८९
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मन्त्रिणि वर्णनीयगुणवर्णनम् |
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१८९
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सेनाधिपे वर्ण्यगुणा |
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१८९
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पुर्यां वर्ण्यपदार्थाः |
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१८९
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देशे वर्ण्यपदार्थाः |
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१८९
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ग्रामे वर्ण्यपदार्थाः |
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१९०
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अब्धौ वर्ण्यपदार्थाः |
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१९०
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