पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः (भागः ४).djvu/४९०

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ध्यानग्रहोपदेशाध्यायः १५७६ ९x शीफ = १३°३६५७९६३॥१२६ ७२॥१५३५४।१७५६८।। १९३५।। केन्द्रज्या = ११४।४०।१०४।००८७l००।।६५।४०।।४१००॥१४०॥ केन्द्रकोटिज्या =३४२०॥६०l००८३१००१००००।११३। ।४०। ००l११८। अन्त्यफलज्या = ४६।४।।४६।४।।४६।४।४६ ॥४॥४६॥४॥४६४॥ स्पको =११।४४।।१३।५६।।३५।५६।५३५६।६६५६७२३६।। = ६८६६ ।।६२६६॥५६४८।५०६८।N४७०६।४६३३।। शीघ्रफलज्या =४५.६५४५६५४२५७३५-६०॥२४०७ll८३५॥ शीफ =२२१.६।।२२°५२०°.८lu१७९.३।११.५।।३°.।। exशीफ =२०३४२०२५॥१८७२॥१५५७१०३५३५८२।। आचार्यपिण्डाः =३३।६६६८|१२८|१५४|२७७१६४॥ मत्साधिताः =३३। ६६।४६।१२७।१५४।१७६।१६४ अचार्यपिण्डाः =२०४२०४|१८८|१५७|१०७३६०॥ मत्साधिता: =-२०३।२०३।१८७।१५६।१०४।३६०॥ अब बुध पिण्डों को कहते हैं । हि- भा.--बुध के क्रम से चतुर्दश (१४) पिण्ड= ३३६६८१२८१५४१७७॥ १e४२०४।२०४१८८।१५७१०७०। यहां सबसे बड़ा पिण्ड= २०४ को नौ (७) से भाग देने पर परमशीत्रफ=२० ४ =२२°४०, इसकी अन्त्यफलज्या=४६ ।४। खार्कीमित (१२०) व्यासावं में । उपपत्ति । भमपिण्ड साघन की तरह- =२७४०५३४०७७०० ००४६००।११०००/११८००॥ ११६॥२०॥ केन्द्र कोटिज्या =११६।२०।।१०७००e २००७१२०४७।२०।२११००॥ ७०७ अन्य फलज्या =४६४॥।४६।४।४६।४।।४६।४।४।।४६४४६४ । स्पष्ट कोटि =१६२।२४।१५३।४।१३८४।११०।२४।६३।२४६७४ । ३६॥४॥