पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः भागः २.djvu/१०३

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८६ ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तेः सम्बन्धियोजन है, अब अनुपात करते हैं यदि भगणांश में भूपरिधियोजन पाते हैं तो भुप स्वाक्षांश में क्या इस अनुपात से स्वदेशाक्षांशयोजनमानः =Xअक्षांश , इसी तरह ३६ भगणांश में यदि भूपरियोजन पाते हैं तो रेखादेशक्षांश में क्या इस अनुपात से भूपरेखक्षांश रेखदेशाक्षांशयोजम = , रे-ख-रेखादेश और स्वदेश के अन्तर योजन ३६ हां आचार्य ने रे-ल-ख त्रिभुज को सरलजात्य मान लिया है, रेल पूर्वापरान्तर=देशान्तर योजन इसका आनयन करते हैं W-'=AW'रान-{ (स्वाक्षांश-रेक्षांश )} = रेल, पव रेख-ल ३६ अनुपात करते हैं, यदि स्फुटपरिधि में ग्रहगति कला पाते हैं तो देशान्तरयोजन में क्या इस अनुपात से जो कलात्मक फल आता है उसको रेखा से पूर्वदेश में और पश्चिमदेश में मध्यम ग्रह में या स्फुटग्रह में क्रम से ऋण और धन करने से स्वदेशीय ग्रह होते हैं। इसी तरह यदि स्फुट भूपरियोजन में सtठ घटी पाते हैं तो देशान्तरयोजन में क्या इस अनुपात से जो घट्यारमक फल आता है उसको पूर्वी और पश्चिम देशवश से ग्रह की तरह तिथि ( तिथि भुक्तघटी ) में ऋण और घन करना चाहिये, यहां प्राचार्य ( ब्रह्मगुप्त ) स्फुट- भूपरिधि की चर्चा नहीं करते हैं, मध्यमभूपरिधि के सम्बन्ध ही से देशान्तर घट्यादि साधन करते हैं इसलिये यह ठीक नहीं है, इस विषय को विज्ञ लोग सोचै इति ।। ३७३८-३८ ।। इदानीं वर्षादौ दिनाद्यवमदिनादिसाधनमाह कल्पगताध्दा गुणिता रूपाष्टजिनेनैवाग्निसप्तनगैः । खखरसनवभिर्भक्ता दिनावमान्यंशकाः शेषाः ।। ४० ।। वा.भा.-अभीष्टे रविमण्डलान्ते ये कल्पगताब्दाः तेऽत्र गृह्यन्ते कल्प गताब्दाः गुणिताः कैरित्याह । रूपाष्टजनैः २४८१ अन्यत्र नवाग्निसप्तनगः ७७३६ तत उभयतोऽपि खखरसनवभिर्भक्ताः २६०० फलानि यथासंख्यं दिनान्यवमानि चांशकाः शेषा द्वयोरपि स्थानयोः एतदुक्तं भवति । कल्पगताब्द रूपाष्टजनैः संगुण्य खखरसनवभिर्विभजेत्फलं दिनानि भवन्ति । तत्र यद्विकलं तदु दिनांशशब्देनोच्यते, तत्र दिनानि दिनांशश्च स्वच्छेदेन सहैकान्ते स्थापयेदत्रयं वासना यदि कल्परविवर्यः कल्पसौरसावमान्तरदिनानि लभ्यन्ते खचतुष्टय शरकृत रसेन्दुनगद्वियमसंख्यानि, २२७१६४५०००० तदेकेन रविवर्षेण किमिति लब्धं ५ विकलम् खचतुष्टयशरवेदरसरुद्रचन्द्रसंख्यं छेदश्च सप्तशून्यानि रदवेदा ९१३६४४६६६४ अनयोश्छेद्यछेदकराश्योरपवर्तनं कृत्वा खचतुष्टयभूतवेदै जातौ राशी रूपाष्टजिना उपरि, खखरसनवाधः ४६३ एतावद्विकलं पंचानां दिना-