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पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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रावणकृतशिवताण्डवस्तोत्रम्


भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥ ४
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चस्रायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदे शिरो जटालमस्तु नः॥ ५
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाधरीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥ ६
नवीनमेघमण्डलीनिरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहूनिशीथिनीतमःप्रबन्धबन्धुकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृतिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगध्दुरन्धरः ॥७
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमच्छटा-
विडम्बिकण्ठकन्धरारुचिप्रबन्ध कन्धरम् ।