पृष्ठम्:छन्दःशास्त्रम् (पिङ्गलः).djvu/११०

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वंशपत्रपतितं भूरौ दंशस्था जतौ ज्रौ वरा सा यू वर्धमानं नौ स्रौ न्सौ वृसवत्रिका )ि वसुधा स् वखिन्द्रियसमुद्रा वातोम म्भौ तूगौ वादयन्तावुपजातय विद्युन्माला मौ गौ विपरीता प्रतिष्ठा विपरीता यवमध्या विपरीतो वाराही विपरीतौ च अध्याये. सूत्रम्. पृष्ठे विपुलायुग्लः सप्तम विबुधप्रिया सैौं विराजो दिश विलासिनी जुरौ जुगौ विश्टोकः पश्माष्टमौ विषमं च १ ॥ १३ ॥ वृन्ता नौ स्गौगू ७ ॥ १८ ॥ १५८ | वेगवती सौ ६ । २८ ॥ १३७| वैराजौ गायत्रौ च ८ ॥ ३ ॥ी १८० वैतालीयं द्विःखरा ८ ॥ १२ ॥ १८५ | वैश्वदेवी मौ यावि ८ । ९ ॥ १८३ १ ॥ २ ५ १ २९ ॥ ८९ ७ । ८ ॥ १५० | शालिनी म्तौ गौ ८ ॥ २३ ॥ १९१| शिखरिणी म्मौ नौ १ ॥ ४ ॥ ८ ॥ १५ ३ १८ ७ ६ ॥ २० ॥ १३२ | शुद्धविराड् ऋषभे ६ ॥ १७ ॥ ११९ शुद्धविराह म्सौ जगौ ५ ॥ १२ ॥ ७४ | शेषः प्रचित इति ६ । ४३ ॥ १४३ शेषे परेण युर न ६ ॥ ६ ॥ १०९ ३ ॥ १५ ॥ ३ ॥ ५८ ॥ ३ ॥ १३ ॥ ३ ॥ ३९ ॥ ४ ॥ २३ ॥ १४ ३४ १४ विस्मिता यमौ त्सौ २४ ५ ल ८ ॥ १६ ॥ १८७ ३ ॥ ५ ॥ १२ ६ ॥ २६ ॥ १३५ | सतोबृहती ताण्डिनः ४ । ४४ ॥ ६४ | सप्तमः प्रथमदि ४ ॥ ५ ॥ ७१ ३ ॥ ४२ ॥ २४ ८ ॥ १८ ॥ १८८ ६ ॥ २४ ॥ १३४ ५ । ३४ ॥ ९१ ३ ॥ ३४ ॥ २२ ४ ॥ ३२ ॥ ५८ ६ ॥ ४१ ॥ १४३ ७ ॥ २२ ॥ १६४ ६ । १९ ॥ १३२ ७ । २० ॥ १५९ ४ ॥ ४९ ॥ ६ ५ ॥ ४३ ॥ ९८ ५ ॥ ३० ॥ ८६ ६ ॥ ९ ॥ ११३ ७ ॥ ३६ ॥ १७७ ४ ॥ ३५ ॥ ६ ६ ॥ २५ ॥ १३५ ३ ॥ ११ ॥ ३ ३ १४ १ ३ ॥ ५६ ॥ ४ ॥ ३६ ॥ ४ ॥ २१ ॥ ४ ॥ १६ ॥ ३ ॥ ४३ ॥ ३ ॥ ३६ ३ १३ १४ ३४ ६ ४९ ४८ २५ २२