पृष्ठम्:छन्दःशास्त्रम् (पिङ्गलः).djvu/१०६

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सारः सिंहविक्रीडितम् सुधालहरी सुमतिः पृष्ठ. | वृत्तन्नाम ११३ | सुरसा १७७ | सुरामः १७७ | सुललेिता सुवदना ११७ | सुवासः १७७ | सुविलासा १३७ | सुषमा १११, १५१ | सेनिका ११३ | सोमराजी १७७ १६७ | सौरलकम् ११० | स्कन्धकम् १७७ १६१ | स्रग्विणी १५१ | खरगीतिका १५० १४९ | खैरिणीक्रीडनम् १५२ | हरनर्तनम् ५९ | हरि हरिणपुतम् १६९ | हरिणी १४५ | हलमुखी १३९, १६९ | हंसः १४८ ११७ | हंसश्येनी १०४ | हंसी १०६ | हारवती १०४, ११७ } हारी १६७ ; हारीतबन्धः १६३ १७७ १६५ १०८ १०८ ११३ १३५ १०५ ८७ १० ३ १४२ १३४ १७० १६१ १५७ १६१ १०५ १० ७ १४८ ९४, ११३० ११९, १६७ ११३ १ ०५ १०५