पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/८

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. अखि चतुर्वेदकोष । अखिलम्, (त्रि. ) समस्त । सम्पूर्ण । अखण्ड । अखिलाघारम्, ( त्रि. ) ब्रह्म | समस्त संसार का आधार । अगः, (पुं. ) पर्वत । वृक्ष | सरीसृप | भानु । अगजः, (पुं. ) पर्वत से उत्पन्न । (न.) शिलाजतु । शिलाजीत । तिः, (पुं.) अनवबोध ! न जानना । उपाय- रहित । विना उपाय का । अगदः, (पुं.) औषध । (त्रि.) नीरोग । रोग नहीं । अगदङ्कारः, (त्रि.) चिकित्सक । वैद्य | रोग दूर करनेवाला । अगदतन्त्रम्, (न.) आयुर्वेद का एक शाखा- विशेष । इसमें सांप, बिच्छू आदि के काटने का औषध लिखा है। . अगम, (पुं.) वृश्च जाने के अयोग्य। जहां जा न सके। अगस्य, (त्रि.) अज्ञेय | जानने के अयोग्य | गमन के अयोग्य | जहां कोई पहुँच न सके । अगस्तिः, (पुं.) मुनिविशेष | एक मुनि का नाम । जिसने समुद्र को गरहूक में रखकर लिया था। जो दक्षिण दिशा में रहते हैं। वृक्षविशेष | · अगस्तिद्रुम (पुं. ) एक वृक्षविशेष | अगस्त नामक वृक्ष । इसके रस के नास लेने से चौथिया ज्वर छूट जाता है। अगस्त्य, (पुं. ) मुनिविशेष | अगस्त्याश्रम, (पुं.) अगस्त्यमुनिका श्राश्रम | काशी का अगस्तकुण्डा नामक स्थान | मलयाचल पर्वत पर वर्तमान अगस्त्य मुनि का आश्रम । श्राम ● जो इन्द्रियों के द्वारा न जानाजाय । अग्नायी, ( स्त्री. ) अग्नि की स्त्री स्वाहा । अग्निः, (पुं. ) पावक | वहि । वैश्वानर | अग्नि के अधिष्ठाता देवता । अग्निकः, (पुं.) कीट विशेष । इन्द्रगोपनामक कीट। अग्निकण, (पुं.) स्फुलिङ्ग | अग्निके छोटेछोटेकण । अग्निकार्य, (न. ) हवन | होम । अग्निकाष्ठम्, (न.) गुरु | सुगन्धद्रव्यविशेष । श्रग्निकोण, (न. ) दिशाविशेष | पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा । अग्निक्रीडा, ( स्त्री. ) आतशबाजी । श्राग का खेल । अगाध, (त्रि.) बहुत गहरा । जिसका तल न छुश्रा जा सके । अत्यन्त गम्भीर | दुर्बोधाशय । अगाधजल, (पुं. ) हद | तालाब i (त्रि.) जिसमें अगाध जल हो । अगार, (न. ) गृह । भकान । अगुरु, ( न.) सुगन्धिकाष्ठविशेष | अगर । जो गरू न हो-इलका | अगोचर, (त्रि.) इन्द्रियों के प्रत्यक्ष का अविषय। अग्निगर्भ, (पुं.) औषधविशेष | सूर्यकान्तमणि । श्रग्निचित्, (पुं. ) अग्निहोत्री | अग्निचयन- करनेवाला । अग्निज, (पुं. ) अग्नि से उत्पन्न द्रव्य | सुवर्ण । सोना । अग्निपुराणम्, (न.) एक पुराण का नाम । इसमें सोलह हजार श्लोक हैं । अग्निप्रस्तर, ( पुं. ) आग को उठानेवाला पत्थर | चकमक पत्थर | अग्निबाडु, ( पुं. ) धूम अग्निभ, ( न. ) अग्नि के समान | आग की तरह चमकनेवाला । श्रग्निभू, (पुं. ) कार्तिकेय । अग्निभूतिः, ( पुं. ) एक प्रकार के बौद्ध । श्रग्निमारुती, (पुं. ) अगस्त्य मुनि । श्रग्निमुख, (पुं.) ब्राह्मण । विप्र | देवता । चित्रक अग्निमुखी, ( स्त्री.) औषधविशेष । भला- तक, मिलावाँ । श्रग्नियन्त्रम्, (न.) अग्न्यनविशेष | बन्दूक तोप आदि । अग्निवित, ( पुं.) अग्निहोत्री । अग्निवत, (न.) राजाओं का व्रतविशेष | | अग्निशरणम्, (न.) अग्नि का वासस्थान । दक्षिणाग्नि । गाई पत्य और हवनीय नामक अग्नियोंके रहनेका स्थान | अग्निहोत्रशाला । +