पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/६

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श्रकृ चतुर्वेदीकोष |५ अकृतबुद्धि, (त्रि.) मूर्ख । अज्ञानी । अचतुर । अपट्ट, अनिपुण, असमीक्ष्यकारी । अकृतिन्, ( त्रि. ) अनिपुण । अनभिज्ञ | कार्याक्षम | अकृत्य, ( न. ) अकार्यं । कर्तव्य कर्म । न करने योग्य कर्म । निन्दित कर्म । बुरा • काम | काम का भव । विना काम | अकृश, (त्रि.) कृश नहीं । दुबलापतला नहीं | हृष्टपुष्ट | स्वस्थ । न दुबला न मोटा। अकृशाश्व, ( पुं.) अयोध्या के एक राजा का नाम । जिसके दुबले घोड़े न हों । अकृष्ट, (त्रि.) नहीं खींचा हुआ । विना जोता खेत । अकृष्टपच्य, (त्रि.) धान्यविशेष | वह धान्य जो विना जोते हुए खेत में पके । फसही धान । तिनी धान । अकृष्टरोहिन्, (त्रि.) विना जोते खेत में उत्पन्न होने वाला श्रन्न । अकृष्ण, (त्रि.) काला नहीं। श्वेत । स्वच्छ । श्रकेतु, (त्रि.) चिहरहित । पताकाहान | अज्ञान । अकोट, (पुं. ) वृक्ष विशेष गुवाक नामक वृक्ष । अक्का, ( श्री. ) माता । जननी । अलः, (त्रि.) व्याति | युक्ति | गोग | परिच्छेद | जुड़ा हुआ, घिरा हुआ । अक्रतुः, (त्रि.) यज्ञ का भाव । निष्काम | कर्माभाव | दृष्ट और अदृष्ट विषयों से विरक्तबुद्धि । अक्रम, (त्रि.) गमनशक्तिशून्य । पादहीन । विपर्यय । वैपरीत्य । क्रमहीनता। उलट पलट । श्रक्रिय, (त्रि. ) श्रौत स्मार्त क्रिया का त्याग करनेवाला । निन्दित कर्म । निषिद्ध व्यापार | अकर्ता । निकम्मा । निन्दित कर्म करनेवाला । ● अक्रूरः, (पुं.) एक यादव का नाम । इनके पिता का नाम श्यफल्क, और माताका नाम गान्दिनी था। (त्रि. ) अफठोर, अनिष्ठुर, क्रूर नहीं, कोद्दीन । अक्ष अक्रोधः, ( पुं. ) क्रोध का अभाल। क्रोधशून्य। श्रकोप, क्रोध के कारण होने पर भी क्रोध न करना। अकोधन (त्रि.) क्रोधरहित । क्रोधहीन | श्रमः, (त्रि.) लमरहित थकावट से रहित । सदा परिश्रम करनेवाला । थका नहीं। सदा व्यापार में लगा हुआ । अक्लिष्ट, (त्रि. ) क्लेशित नहीं । क्लेशरहित । श्रमर्दित । अक्षः, ( पुं. ) रथ का अवयव विशेष । चक्र | चक्का | पहिया । वह लकड़ी जिसमें पहिये लगाये जाते हैं। व्यवहार | आय व्यय का हिसाब । पाशा । जिससे जुआ खेला जाता है । रुद्राक्ष । बहेड़ा का वृक्ष | ज्ञान । आत्मा इन्द्रिय | रावण | सर्प | शक्ट | रथ | सोलह मासे । कर्ष जन्मान्ध | गरुड़ | बाण और जोविषमें इससे ५ की संज्ञा जानीजाती है । अक्षकः, (पुं. ) वृक्षविशेष । तिनिश नामक वृक्ष । रावण के पुत्र का नाम । इसे अक्ष कुमार भी कहते हैं । अक्षण, (पुं.) इन्द्रियों का समूह । श्रक्षचरण ( पुं.) यक्षपाद । आचार्य गौतम का एक नाम । अक्षतम्, (न. ) चावल । जौ । ( पुं. ) विना टूटे चावल, जो देवताओंको चढ़ायेजाते हैं। अक्षता, ( स्त्री. ) ककड़ासगी वृक्ष । पुरुषसंसर्ग- रहित स्त्री । अक्षदर्शक, (पुं. ) प्राइविवाक | धर्माध्यक्ष | व्यवहारों का देखनेवाला। जज | मुंसिफ जुआरी । पासा का देखनेवाला । श्रदविन्, (त्रि.) जुश्राड़ी | जुआ खेलने वाला । धूर्त । अक्षद्यः, ( पुं. ) जुवाड़ी | जुआ खेलनेवाला । अधुरा, ( स्त्री. ) पहिये के आगे का भाग । अधूर्तः, ( पुं..) जुआड़ी । जुआ खेलने वाला । धूर्त | कितव | पद (पुं. ) गौतम । नैयायिकाचार्य ।