पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/५

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

की
चतुर्वेदीकोष । ४
अधम समय | महँगी का समय | योग्य
समय ।
अकाल-कुसुम, (न.) विना काल का पुष्प ।
जिस पुष्प के उत्पन्न होने का जो समय
नहीं है उस समय में उत्पन्न हुआ पुष्प |
दुःसमय का चिह्नविशेष |
श्रकाल-कूष्माण्ड, ( पुं. ) काल में उत्पन्न
हुआ कोहड़ा।
अकालज, (त्रि.) अकाल में उत्पन्न । विना
समय के उत्पन्न हुआ।
अकाल जलद, (पुं. ) कालका मेघ, वर्षा -
ऋतु को छोड़कर अनऋतु का मेघ ।
अकाल-जलदोदय, ( पुं. ) चकाल में मेघों
की उत्पत्ति । विना समय मेघों का होना ।
कश्मीरी कवि राजशेखर के प्रपितामह का
नाम । सम्भव है यह उनका नाम न रहा
हो। किन्तु उपाधि । सुभाषितावली में उद्धृत
एक श्लोक से इस बात की कुछ झलक
पाई जाती है |
अकालवेला, (स्त्री) अकालिक समय । ज्यों-
तिष शास्त्र में “ कालवेला " एक योग का
नाम है, उसका अभाव ।
अकिञ्चन (त्रि.) जिसके पास कुछ न हो ।
अत्यन्तदरिद्र । महानिर्धन ।
अकिञ्चनता, ( स्त्री. ) सब प्रकार के धन का
भाव । निर्वेद | संसार के पदार्थों से विराग
होने पर जो एक प्रकार का निर्वेद उत्पन्न
होता है।
किञ्चिज्ज्ञ, (त्रि. ) कुछ भी न जाननेवाला ।
महामूर्ख ।
अक्कू
अकुण्ठित (त्रि.) कुण्ठित नहीं । अप्रति-
हत । चारों ओर फैलनेवाला ।
कुतोभय, (त्रि.) जिसको किसी का भय
न हो । निर्भय । निडर । नहीं डरनेवाला ।
श्रकुप्य, ( न. ) धन | सोना । चाँदी ।
सोना और चाँदी से भिन्न धन को कुप्य
कहते हैं, उस से भिन्न अर्थात् सोनी,
चांदी को अकुप्य कहते हैं ।
.
अकुल, (त्रि.) कुलच्युत । कुलटूट | उत्तम
S
कुल का नहीं । शिव का एक नाम ।
अकुला, (स्त्री.) सती | पार्वती का नाम ।
अकुलीन, (त्रि. ) उत्तम कुल का नहीं ।
जिसका कुल उत्तम न हो । २ मर्त्यलोकवासी
नहीं। “कु” का अर्थ है पृथिवी ।
अकुशल, ( त्रि. ) अमङ्गल । अकल्याण
अ चतुर । अनिपुण, अनभिज्ञ
अकूपार, ( पुं० ) समुद्र | सागर । सिन्धु ।
उदधि | कप | कछुवा । सूर्य ।
अकूर्च, (त्रि. ) विना दाढ़ी का | गंजा |
खल्वाट । ( पुं. ) बुद्ध भगवान् ।
प्रकृच्छ्र, (त्रि.) अकठोर | कठिनताशूल्य |
सहज सरल |
कृत (त्रि ) अकर्म
5
कर्मशून्द । फर्म
का प्रभाव |
अकृतार्थ, ( त्रि. ) असफलमनोरथ | अपूर्ण-
मनोरथ | मनोरथ की प्रसिद्धि ।
अकृतास्त्र, (त्रि.) अस्त्रविद्या में चशिक्षित ।
अविद्या में अनभिज्ञ |
अकृतात्मन्, (त्रि.) जिसकी आत्मा
वश में न हो । निर्बुद्धि । मूर्ख जिसने
ब्रह्म और आत्मा का ज्ञान नहीं प्राप्त
किया है ।
अकिञ्चित्कर, (त्रि.) अनावश्यक |
अनर्थक | वृथा । व्यर्थ ।
अकीर्ति, ( स्त्री. ) चप्रशस्त कीर्ति | अनुचित | अकृतोद्वाह (त्रि.) विना म्याहा, कारा ।
कीर्ति । अनुचित कार्यों से प्राप्त कीर्ति ।
अकुण्ठ, (त्रि.) श्रकुण्ठित । अप्रतिहतगति ।
किसी काम में न रुकनेवाला । सब काम में
चतुर ।
अकृतैनस, (त्रि. ) जिसने पाप नहीं किया
है । पापरहित । निष्पाप ।
अकृतज्ञ, (त्रि.) अपने पर किये गये उपकार
को भूल जाने वाला । कृतन |