पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/४

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चतुर्वेदीकोष | ३ अकरा, (स्त्री.) विना हाथकी स्त्री । श्रमलकी वृक्ष । आँवले का पेड़। आँवले का सेवन करने से लोगों के दुःख दूर होते हैं इसी कारण इसका " अकरा ? नाम पड़ा है । करुण, (त्रि. ) करुणारहित । निर्धय । दयाशून्य । श्रीक, (त्रि.) जिसके कानं न हो । कर्णरहित । बहरा । बधिर । कर्ण नामक वीर का भाव या उसका सादृश्य यहां " कर्ण" शब्द का अर्थ और सुनने की शक्ति | दोनों है। अकर्तन, (त्रि.) काटने के योग्य। जो काटा न जाय । कर्तृ, (पं.) काम नहीं करनेवाला । निकम्मा, कियेहुए कर्मों का जो फल भोग न करे । अकर्मक, (त्रि.) जिसके कर्म न हो । धातु का एक भेद | अकर्मक धातु वे कहे जाते हैं, जिनका फल और व्यापार एक श्राश्रय में रहता हो और जिस धातु के कर्म बहुत प्रसिद्ध होने के कारण अविवक्षित हों, वे धातु भी कर्म होजाते हैं। कर्मय (त्रि. ) जो काम न करसके । काम करने के अयोग्य | नहीं कार्य करनेवाला । अकर्मन्, (त्रि.) विना काम का । निकम्मा । काम करने के प्रयोग्य । निष्कामकर्म करने वाला । अकल, (त्रि.) कलारहित । अखण्ड | सम्पूर्ण । समस्त । अकल्क, (त्रि. ) दम्भरहित । अदाम्भिक । अकल्का, ( स्त्री. ) चन्द्रमा का प्रकाश चाँदनी । श्रदाम्भिक स्त्री | पाखयडरहित । अकल्कन, ( त्रि. ) जिसमें दम्भ न हो । दम्भ रहित । अदाम्भिक | अकल्पित (त्रि.) चित्रित | विना बनाया हुआ । धनिर्मित । प्राकृतिक । स्वाभाविक । कल्पनाहीन | कल्पना से परे । 'अकल्य, (त्रि.) | व्याधित | व्याधियुक्त का अकण (त्रि.) मङ्गल कल्याण का अभाव । अकव, (त्रि. ) अवर्णनीय | जिसका वर्णन कियाजाय । न अच्छा न बुरा । कवि, (त्रि. ) निर्बुद्धि, मूर्ख । अकस्मात् ( श्र.) सहसा । अचानचक | • तर्कित । विना शानगुमान | अकाण्ड, ( त्रि. ) विना अवसर | बे मौके । अनुचित काल | अनवसर | अकाण्डजात, (त्रि.) अकस्मात् उत्पन्न | अनुव तरजात । अनुचितकाल में उत्पन्न ! काण्डपात (पुं. ) अतर्कित पात | सहसा गिरना | काण्डे, (क्रि. वि. ) अकस्मात् । अचान चक, सहसा । अनिच्छा से । इच्छा- श्रकाम, (त्रि. ) कामरहित । वासनारहित । क्षीणशक्ति | प्रेमरहित । निष्प्रेम । कामता, (स्त्री.) कामशून्यता । निष्कामता । इच्छाराहित्य | कामतः, ( . ) पूर्वक नहीं । अकामहत, (त्रि.) इच्छा कियेही मरा हुआ। काय, (त्रि. ) शरीररहित । अमूर्त | निरा- कार | शरीरहीन | राहु ग्रह । कार, (त्रि.) काम का अभाव | क्रियारहित । थकार, ( पुं. ) अक्षर | पूर्वक मष्ट | विना कारण, (न. ) कारणशून्य । विना कारण । निष्कारण | प्रयोजनशून्य । बे मतलब | काट्रिकक, ( न.) कान का एक गहना । कर्णभूषण | (त्रि.) जिसमें कृपणता न हो । कृपणता का अभाव | उदारता | श्रौदार्य । कार्य, (न.) अनुचित कार्य । निन्दित कर्म । बुरा काम । अकाल, (पुं.) धनुचित काल | अनवसर 1. î