पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३१३

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राम चतुर्वेदीकोष | ३०१ रामनवमी, ( स्त्री. ) चैत्रशुक्ला नवमी । रामभद्र, (पुं. ) श्रीराम । रामवल्लभ, (न. ) भोजपत्र । रामसख, (पुं. ) रामचन्द्र का मित्र सुग्रीव | वह रामभक्त जो सख्य भाव की भक्ति करें । रामा, ( स्त्री. ) अशोक | गोरोचना । हींग | नारी । नदी। लड़की । रामायण, ( न. ) वाल्मीकिविरचित ग्रन्थ विशेष जिसमें राम की लीलाओं का वर्णन है | इसी चरित्र के प्रतिपादक अन्यान्य रामायण अन्थ । अध्यात्म, श्रद्भुत, बाल, रामायण आदि । राव, (पुं. ) चीख | चिल्लाहट | रावण, (पुं. ) देवता आदिकों को रुलाने वाला, विश्रवा का पुत्र, पुलस्त्य का नाती,, कुम्भकर्ण का और कुबेर का भाई । राक्षसराज । रावणमङ्गा, (स्त्री.) लङ्का की एक बदी जिसको रावण ने बनाया था । रावणारि, पुं. ) श्रीरामचन्द्र । रावणि, (पुं. ) रावण के पुत्र मेघनाद आदि । प्रधानतया एक इन्द्रजित् ही । राशि, ( पुं. ) ढेर | समूह | राशिचक्र, (न. ) वायु की प्रेरणा से निर न्तर घूमने वाला आकाशस्थित द्वादश राशियों का ज्योतिश्चक्र । राशिभोग, (पुं.) सूर्य आदि ग्रहों का निज मति के अनुसार राशियों पर गमन । ( न. ) देश | राज्य । एक जाति के लोग । जातीय उपद्रव । . राष्ट्रि, १ ( स्त्री. ) शासन करने वाली स्त्री । } राष्ट्री, ] रानी । राष्ट्रिक, ( पुं. ) किसी राज्य या देश का निवासी या प्रजा | राष्ट्रिय, १ ( पुं. ) किसी राज्य का । राजा । राष्ट्रीय राजा का साला । रास्, (क्रि. ) शब्द करना । रिक्ला रास, (पुं.) कोलाहल | शब्द । एक प्रकार का खेल जो श्रीकृष्ण वृन्दावन की गोपिकाओं के साथ किया करते थे । रासक्रीड़ा, जो कामदेव का मद भङ्ग करने और ब्रह्मचर्य का अखण्ड प्रभाव दिखाने के लिये ब्रह्मा की एक रात के बराबर रात कर श्रीकृष्ण ने की थी । सकरी । साँकल । रासक, (न. ) छोटा नाटक | रासन, (त्रि. रासनी, ( स्त्री जिह्वासम्बन्धी । रासभ, (पुं. ) गधा। रासमण्डल, (न. ) रासक्रीड़ा के लिये चक्करदार आवर्त । रासक्रीड़ा में खड़े रहने का एक झुकाव । रासेश्वरी, (स्त्री. ) राधिका । रासक्रीड़ा की स्वामिनी । रास्ना, ( स्त्री. ) लता विशेष कटिसूत्र । राहित्य, (न. ) विवर्जित्व । विहीनत्व । शून्यत्व । राहु, ( पुं. ) विप्रचित्त और सिंहिका का पुत्र | एक दैत्य जो समुद्र मथ कर अमृत निकाला जाने पर विष्णु ने मोहिनी अवतार ले कर देवताओं को अमृत और दैत्यों को सुरा पिलायी थी तब देव पंक्ति में घुस कर अमृत पीने के कारण चक्र से जिसका मस्तक काट कर मस्तक का राहु और धड़ का केतु कर देवताओं में मिला दिया गया । छोड़ना । छोड़ने वाला । राहुदर्शन, ( न. ) चन्द्र और सूर्य के ग्रहण- समय जिनमें राहु दीखता है । राहुमूर्द्धभिद्, (पुं. ) विष्णु । राहुरन, ( ब ) गोमेद रत्न | रि, (क्रि. ) जाना | निकालना | देना | अलग करना | रिक्ल, (त्रि.) खाली | सूना । निरर्थक रिक्ला, ( स्त्री. ) कृष्ण और शुक्ल पक्षों की ४थी हमी और १४शी ।