पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२१

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अंत्य धतुर्वेदीकोष | २० त्रिकाल में अभाव न था। न है और न होगा । यथा - वायु में रूप का अत्यन्ता- भाव है क्योंकि वायु में रूप न तो था न है और न होगा। अत्यन्तिक, (त्रि.) अत्यन्त चलने वाला | अतिशय गमनकारी। अत्यन्तीन, (त्रि.) अत्यन्त चलने वाला | चिरस्थायी । अत्यम्लः, (पु.) बहुत खट्टा फल । तेतुल | इमली। अत्यम्लपर्णी, (स्त्री.) जिसके पत्ते अधिक होते हैं। वृक्ष विशेष काबीजपुर नामक वृक्ष, यह रावालेबु के नाम से प्रसिद्ध है । अत्ययः, (पुं. ) अतिक्रम। दण्ड धभाव विनाश | दोप। कष्ट । अत्यन्त गमन । बलसे व्यवहार करना । मृत्यु होनेवाले कामों की सिद्धि । अत्यर्थम्, (न. ) अतिशय । अधिक | (त्रि.) अतिशययुक्त अर्थ का प्रभाव | अत्यल्पम्, (त्रि. ) छोटा | बहुत छोटा | अत्यन्त लघु । अत्यष्टिः, (स्त्री.) छन्द विशेष | जिसके प्रत्येक पाद में सत्रह १७ अक्षर होते हैं । अत्याकारः, ( पुं. ) तिरस्कार । विरादर । आदर का अभाव | ( त्रि. ) विशाल शरीर । बड़ा शरीरवाला । अत्यागी, (त्रि. ) कर्म फल की इच्छा न कर काम करनेवाला । श्रज्ञ । अनभिज्ञ । बना हुआ संन्यासी | अत्याचार ( पुं. ) उपद्रव । दुःखद काम | शास्त्रीय नियम का उल्लङ्घन अत्याधान, ( न. ) अतिक्रम । उपश्लेष सम्बन्ध | नियम विरुद्ध अग्नि स्थापन | अत्याल, (पुं.) रक्तचित्रक वृक्ष । लालचिता । अत्याश्रम, (पुं० ) परमहंस । ब्रह्मचर्य धादि आश्रमधर्मों को पालन करने वाला । अथ श्रत्याश्रमी, ( पुं. ) उसमाश्रमी परमहर्ड्स | परिव्राजक अत्याहित, (ग.) अत्यन्त भय | महाविपद् । जिसमें प्राण जाने का भय हो । अत्युक्लि:, ( स्त्री. ) बढ़ कर कहना। अन्याय वचन | ग्रसम्भव उक् । अर्थालारविशेष, जहां झूठ और अद्भुत का वर्णन हो । आयुकथा (सी.) बन्दविशेष इस छन्दके प्रत्येक पाद में दो अक्षर होते हैं। साम- वेद के उत्थ भाग को बिगाड़ कर गानेवाला । अत्युच्छ्रित, (प्रि. ) अधिक बढ़ा हुआ। प्रत्यूह, ( गरुड़ पश्चिविशेष बलूह फाल। कण्ठक । ( त्रि. ) अधिक नितर्क | बहुत वितर्क करनेवाला । अत्यूह (श्री. ) नील नाम का पौधा | नील सिन्दुवार पक्षी ★ अत्र, (अ.) अधिकरणार्थक अन्यय । इसमें यहां अगभवान् (त्रि.) श्लाघ्य | पूजनीय | प्रशंसा करने योग्य | [भिः (पुं. ) सर्पियों में के एक ऋषि ( त्रि. ) झीग से मिर्भ | तीन नहीं अभिजातः, ( पुं. ) चन्द्रमा, ग्रालय | अभिनेत्रजः, ( पुं. ) चन्द्रमा थ, ([.) निरन्तर | मङ्गल | प्रश्न | संशय आरम्भ | विकल्प पन्तर इस शब्द का चर्थ महत नहीं है किन्तु इसका उखा- रण करना ही मङ्गल है । अथ किम्, अ. ) स्वीकार | अङ्गीकार अथर्वन् , ( पुं. ) शित्र | मुनिविशेष | इसी मुनि ने अथर्ववेद का सङ्कलन किया है । अथर्वा, (पुं. ) ब्राह्मण । अथर्व वेद । अथर्व मुनि का कहा हुआ धर्म । अथर्ववित्, ( पं. ) अथर्व वेद के शाता वशिष्ठ आदि । अथर्ववेद, (पुं. ) ऋग्वेद का वह भाग जिसमें