पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः (भागः ४).djvu/१६५

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ब्राह्मस्पुटसिद्धान्ते

एवमून प्रनमून प्रश्ने का = या - त्र्य नी २ = या - क } नी २ - का २ =श्न - क् } सङ्क्रमऐन

                                           का = ल - इ/२

नी + का = श्न- क/इ = ल } ततः या

                     अत उपपद्यते ||७४||
 वि.भा.- स को राशिर्य उद्दिष्टराशिभ्यां युक्तो हीनो वा कृति (वर्गः) र्भवति, श्नत्र याभ्यामुद्दिष्टराशिभ्यमं युत्त्को हीनो वा वर्गो भवति तदन्तरमिष्टेन भत्त्क योगप्रश्ने इष्टेन हीनं विघेयम् तदा यद् भवति तदर्घस्य वर्गोSघिकोद्दिष्टराशिना हीनः कार्यः, -श्नचिकयोरुद्दिष्टराश्योः | उद्दिष्टराश्योरल्प्योरघिकः (युत्त्कः) कार्यः,-तदा राशिर्भवति ||
                    श्नत्रोपपत्तिः |
 कल्प्यते राशिः = य,यो हि न,म उद्दिष्टराशिसभ्यां युतो वर्गः स्यात् | भत्र न > म तदा प्रश्नानुसारेरा य + न = क^2 , य + म = ब^2 ततः क^2-व^२= न - म  श्नत्र यादि क - व = ह तदा वर्गान्तरं राशिवियोगभत्तमित्यादिना न - म/ह = क^२/इ = क + व = र तदा संक्रमएन र+इ/२ = क , अतः य = क^२ - ना तथा राशिरुद्दिष्टाभ्यां हीनो वर्गा भवतीति प्रश्ने क^२ = य - न | य ‌- न | य ‌- म = व^२ ततः व^२- क^२/व - क = व+क =    न -म/इ = र ततः संक्रमएन र-इ/२क = क| य = क^२ + न श्नत्र आचार्याक्त्तमुपपन्नम् ||७४ ||
                      श्नब पुनः प्रश्नान्तर का उत्तर कहते है|
  हि.भा.-कौन राशि है जिसमे उद्दिष्ट राशिद्वय को जोडने से वा घटने से वर्ग होता है,यहां जिन उद्दिष्टराशिद्वय को जोडने वा घटाने से वर्ग होता है उन दोनों  उद्दिष्टराशियों के श्नन्तर को इष्ट से भाग देने से जो लब्धि हो उसमें इष्ट को  जोडने योग प्रश्न में | हीन प्रश्न में इष्ट को हिन करना तव जो हो उसके श्नधिक उद्दिष्टराशि को घटाना चाहिए,श्नल्प  उद्दिष्टराशि को जोडना चाहिए तव राशि प्रमारा होता है इति |