पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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शब्दालङ्कारसरः (१२२)
युग्माक्षरश्लिष्टानुलोमगोमूत्रिका । अत्र कोणस्पर्शपूर्वको मण्डलस्पर्शः । एवमयुग्माक्षरश्लिष्टत्वेऽपि गोमूत्रिका भविष्यति । तत्र कोणस्पर्शो मण्डलस्पर्शपूर्वक इति विशेषो बोध्यः ॥
गोमूत्रिकाबन्धः.
ता | रा | गौ | रा | का | रा | श्री | रा | यो | रा | ति | रा | द्ध | रा | स्स्मे | रा |
सा | रा | जा | रा | ध्या | रा | त्स्फा | राऽ | ही | रा | ध | रा | क | रा | धा | रा |
षोडशदलपद्मबन्धः.