पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः (भागः ४).djvu/४३९

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

१५२८ ब्राह्मस्फुटसिद्धान्ते सौरवर्षचैत्राद्योर्मध्येऽधिमासशेषो मासात्मकश्चान्द्रस्तच्चालनं कल्पचान्द्रमासैः ५१८४००००००० कल्पसौरमासास्तदाऽधिशेषेण लब्धं कि राश्यादिवालनमृणम्== ५३४३३३०००००

  • अधिशे_१७२८०० X ३००००० अधिशे_-१७२८०० अधिशे

१३१ १७८१११ < ३००००० १३१ १७८१११ १३१ इदं नवगुणं चतुर्भक्त लब्धं नक्षत्रात्मकं चालनं षष्टिगुणं जातं घटयत्मकम् । = १७२८००४९४अधिशे ४६० - १७२८००x१३५४अधिशे १७८१११४४x१३१ १७८११८X१३१ =२३३२८०००४अधिशे=अधिशे । स्वल्पांतरात् । २३३३२५४१ सौरवर्षादौ रविर्भचक्र ण नक्षत्रसप्तविंशत्या समोऽतो भचक्रादधिशेषघटी. समचालनं विशोध्य चैत्रादौ भादी रविज्ञेये इति स्फुटम् ॥१-३॥ हि. भ-शाके में से ५५० घटाकर शेष को तीन जगह रखो, एक.को बारह (१२) से, दूसरे को अड़तालीस (४६. से तथा तीसरे को १e से गुणा करो। तीसरी राशि में ४५ जोड़कर ६० से भाग दो । लब्धि को दूसरी राशि में जोड़ दो, और उसी में रसवेद (४६) जोड़ दी। इस तरह करने पर मध्यमराशि होगी । उसको शशाङ्कविश्व (१३१) से भाग देने पर अधिमास होता है। अधिमास और उपरितन राशि का योग चान्द्रमास होता है । उपपत्ति । १५६३३००० ० ० एक वर्षों में अधिमास ४३२००००००० = - ५३११३ ३००००० ५३११ ५३११ ४ १३१ १४४०० x ३००००० १४४०० -१३१x१४४०० ५३११x१३१ १४ ४८+. १४४०० १३१ १३१ स्वल्पान्तर से । इसको इष्ट सौर वर्षे से गुणने पर अधिमास होता है, शेष की उपपत्ति स्पष्ट ही है । ४५ और ४६ के क्षेपक की उपपति ग्रन्थ के अन्त में देखें। चैत्रादि सौर वर्षे में अधिमास थेष मासात्मक चान्द्र होता है उसका चालन लाने की युक्ति यथा